Kaal Sarp Shanti Puja
Ujjain

कालसर्प शान्ति

वर्तमान अभिनव ज्योतिष के माध्यम से स्पष्ट दृष्टिगोचर कालसर्प योग संसार के आर्त जनों के चिन्तन का विषय बना हुआ है। और प्राणी अलग-अलग रीति व स्थान पर - कालसर्प शान्ति (विधि) करवा लेते है, जबकी प्रयाग उज्जैन व त्र्यम्बकेश्वर में ही इस योग की श्रेष्ठ मुहूर्त व लग्न में पूजन शान्ति होने पर निवारण होना बताया गया है। इस हेतु उज्जैन की पावन सिद्ध शक्तिपीठ धरा महाकाल भगवान के क्षेत्र (वन) में कालसर्प का वैदिक रीति से अनुष्ठान सिद्ध सम्पन्न होता है, क्योंकि महाकाल स्वयं कालातीत है अतः कालसर्प दोष की निवृत्ति महाकाल की सन्निधि में स्वयं महाकाल के आशीष से दूर हो जाती है इसलिए शास्त्री के माध्यम से वैदिक व शास्त्रसम्मत विधि से कालसर्प शान्ति सम्पन्न किए जाते हैं।

Kaal Sarp Puja Dates & Muhurat

जनवरी 2025 के लिए 1, 2, 3, 6, 7, 8, 9, 10, 13, 14,15, 16, 21, 22, 23, 24, 26, 28, 29, 30।
फरवरी 2025 यह 3, 4, 5, 6, 9, 11, 12, 13, 16, 18, 19, 20, 21, 22, 25, 26 ,27 है ।
मार्च 2025 के लिए यह 1, 3, 4, 5, 6, 9, 11, 12, 13, 17, 18, 19, 20, 23, 25, 26, 27, 30,31 है।
अप्रैल 2025 यह 1, 2, 3, 5, 8, 9, 10, 12, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 26, 29,30 है।
मई 2025 के लिए यह 1, 2, 3, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 13, 14, 15, 16, 17, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 27, 28, 29,30 है।
जून 2025 यह 1, 2, 3, 4, 5, 7, 10, 11, 12, 16, 17, 18, 19, 23, 24, 25, 26,30 है ।
जुलाई 2025 के लिए यह 3, 4, 6, 7, 8, 9, 13, 14, 15, 16, 19, 20, 21, 22, 23, 25, 27, 28, 29, 30 ,31 है।
अगस्त 2025 यह 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24,25, 26, 27, 28 29, 30, 31 है ।
सितंबर 2025 के लिए यह 1, 2, 3, 4, 5, 8, 9, 10, 11, 14, 16, 17, 18, 23, 24, 25, 26, 28, 29, 30 है।
अक्टूबर 2025 यह 1, 2, 3, 6, 7, 8, 9, 10, 13, 14, 15, 16, 21, 22, 23, 25, 26, 28, 29 ,30 है।
नवंबर 2025 के लिए यह 3, 4, 5, 6, 9, 11, 12, 13, 18, 19, 20, 21, 22, 24, 25, 26, 27, 30 है ।
दिसंबर 2025 यह 2, 3, 4, 7, 9, 10, 11, 14, 16, 17, 18, 19, 21, 23, 24, 25, 27, 30 31 है।

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About Guruji

Authorized Pandit in Ujjain, Ved Acharya Pandit Sanjay Tiwari.

वेद आचार्य पंडित संजय तिवारी उज्जैन के निवासी है जो बाल्यकाल से ही गुरुकुल श्री रामानुज कोट में अध्ययन किया व माध्यन्दिन शाखा से दीक्षित होकर शुक्ल यजुर्वेद का अध्ययन किया और दीक्षित होकर कर्मकाण्ड सीखा और पारम्परिक वैदिक शास्त्र के अतिरिक्त अभिनव शास्त्री, एम. ए. संस्कृत शास्त्र का अध्ययन संस्कृत अध्ययन- शाला विक्रम यूनिवर्सिर्टी उज्जैन से किया और अपनी गुरुपरम्परा को आगे बढाते हुए वैदिक अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ लोगों के कल्याणार्थ वैदिक शास्त्रीय विधि से कर्मकाण्ड अर्थात् पूजा विधि सम्पन्न करवाते है।